ऑनलाइन ठगी
आन लाइन भुगतान करते समय बरतें सावधानी
आन लाइन ठगी करने वाले है सक्रिय
किराने की दुकान पर भुगतान करना हो या फिर आन लाइन पेमेंट करना हो। क्यूआर कोड(क्विक रिस्पांस कोड) के जरिए आसानी से भुगतान हो जाता हैै। कोरोना काल में कांटेक्ट लैस भुगतान का यह बेहतरीन जरिया है। आन लाइन भुगतान का यह सबसे सरक्षित एवं सरल तरीका माना जाता है। लेकिन इस सरल माध्यम के जरिए अब आन लाइन ठगी की जाने लगी है। जिसके चलते इंटरनेट की कम जानकारी रखने वालों से लेकर अपनी जिंदगी में इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों तक इस जालसाजी का शिकार हो रहे हैं।
क्या है क्यूआर कोड
जापान की कंपनी डेंसो वेव ने क्यूआर कोड का आविष्कार किया है। जोकि एक बार कोड की तरह होता है। क्यूआर कोड में स•ाी प्रकार की जानकारी स्टोर रहती है। जिसे मशीन द्वारा पड़ा जा सकता है। इसके माध्यम से आसानी से राशि का भुगतान किया जा सकता है।
किस प्रकार होती है धोखाधड़ी
यदि आप किसी भी दुकान या अन्य जगह पर क्यूआर कोड को स्कैन करते है तो स्कैन किए गए कोड को मशीन पढ़ लेती है। जिसके बाद अनेक माध्यम जैसे नेट बैकिंग, यूपीआई, गूगल पे या अन्य किस्म की आन लाइन पेमेंट ऐप के जरिए स्कैन किए गए क्यूआर कोड से संबंधित एकाउंट में रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। इसके बाद ही आन लाइन ठगी करने वाले लोग सक्रिय होकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते है। उनके द्वारा लोगों को टेक्सट या ईमेल भेजा जाता है जिसमें ग्राहक को भारी भरकम रकम जीतने का लालच दिया जाता है। साथ ही ग्राहक को रकम उसके एकाउंट में रकम ट्रांसफर करने के लिए फर्जी क्यूआर कोड की फोटो भी स्कैन करने के लिए भेजी जाती है। मैसेज में क्यूआर कोड को स्कैन करने, अपका यूपीआई पिन दर्ज करने के बाद राशि आपके खाते में जमा होने की बात कहीं जाती है। जब आपके द्वार यह सब किया जाता है तो राशि आपके खाते में आने के बजाए होता इसका एकदम उलट है। आप राशि प्राप्त नहीं कर रहे होते बल्कि आन लाइन ठगी करने वालों को पैसों का भूगतान कर रहे होते है।
स्कैमर को पकड़ना होता मुश्किल
आन लाइन ठगी करने वालों को पुलिस द्वारा पकड़ना टेढी खीर साबित होता है। हालांकि इसके लिए पुलिस द्वारा साइबर सेल थाने की स्थापना की गई है। लेकिन फिर भी आन लाइन ठगों को पकड़ना मुश्किल साबित होता है। इसका सीधा का कारण यह है कि आन लाइन ठगी प्रदेश या देश या फिर यूं कहें की दुनिया के किसी भी कोने से की जा सकती है। जब तक आन लाइन स्कैमर को साइबर सेल द्वारा ट्रैक किया जाता है जब तक भुगतान की गई राशि किसी अन्य जगह ट्रांसफर कर दी जाती है। या फिर वह अपना पता बदल देता है।
Comments
Post a Comment